

मुंगेली । मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप जल संरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ में ‘मोर गांव मोर पानी’ महाअभियान के तहत प्रभावशाली प्रयास किए जा रहे हैं। जिले में भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट और पेयजल संकट की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए निष्क्रिय पड़े नलकूपों (डीफंक्ट बोरवेल) को पुनः उपयोगी बनाया जा रहा है।
इस दिशा में जिले में वर्षा जल को संरक्षित करने के उद्देश्य से निष्क्रिय बोरवेलों में सैंड फिल्टर निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ जल स्रोतों के पुनर्जीवन का भी माध्यम बनेगी। अब तक जिले की तीनों जनपद पंचायतों लोरमी, मुंगेली एवं पथरिया में कुल 265 निष्क्रिय बोरवेल की पहचान की गई है तथा 204 बोरवेलों के उन्नयन कार्यों को स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, इनमें लोरमी में 45, मुंगेली में 87 और पथरिया 72 बोरवेल शामिल है। इनमें से 11 बोरवेलों का उन्नयन कार्य पूर्ण कर लिया गया है। शेष प्रगति पर है। कलेक्टर कुन्दन कुमार एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रभाकर पाण्डेय के मार्गदर्शन में कार्यों की नियमित निगरानी की जा रही है। उन्होंने सभी स्वीकृत कार्यों को 30 जून तक पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण पहल न केवल जल संकट के समाधान की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि यह ग्रामीणों को दीर्घकालिक राहत देने में भी सहायक सिद्ध होगी।