

मुंगेली। जिला पंचायत अंतर्गत जनपद पथरिया की 64 ग्राम पंचायतों में “सुशासन तिहार” के नाम पर 16 लाख 09 हजार 700 रुपए के अनियमित भुगतान का मामला सामने आया है। जांच में दोषी पाए गए संविदा संकाय सदस्य अनिल अमादिया की सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई है। यह कार्रवाई कलेक्टर कुंदन कुमार के निर्देश पर जिला पंचायत सीईओ प्रभाकर पांडेय ने की।
जांच में पाया गया कि बिना पंचायत प्रस्ताव एवं सहमति के, ई-ग्राम स्वराज पोर्टल में जनपद का ई-मेल आईडी डालकर डिजिटल सिग्नेचर के माध्यम से भुगतान किया गया। OTP सिस्टम का दुरुपयोग कर ग्राम पंचायतों की विकास निधि को खर्च किया गया।
जवाब नहीं दे सके अमादिया
अनिल अमादिया को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का उत्तर संतोषजनक नहीं होने पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 के तहत सेवा समाप्त कर दी गई।
सिर्फ छोटे कर्मचारी पर कार्रवाई, उच्च अधिकारी सुरक्षित
इस पूरे मामले में केवल एक संविदा कर्मचारी पर कार्रवाई होना, प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े कर रहा है।
पथरिया पार्षद दीपक साहू ने कहा—
> “यह महज दिखावटी कार्रवाई है। क्या इतने बड़े डिजिटल फर्जीवाड़े में उच्च अधिकारियों की मिलीभगत नहीं थी? हम मांग करते हैं कि दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो और पंचायतों को राशि वापस मिले।”
प्रशासन की चुप्पी क्यों?
राशि की वापसी को लेकर प्रशासन ने अब तक कोई जानकारी नहीं दी।
जनता और जनप्रतिनिधियों में इसको लेकर गहरा असंतोष है।
“सुशासन तिहार” या भ्रष्टाचार का नया नाम?
जन-कल्याण के नाम पर चलाए गए “सुशासन तिहार” कार्यक्रम में इस प्रकार की वित्तीय अनियमितता ने योजना की साख पर सवाल खड़ा कर दिया है। यदि सिर्फ छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाकर असली दोषियों को बख्शा जाता रहा, तो प्रशासन से जनता का विश्वास उठना तय है।