

आपातकाल स्मृति दिवस पर लोकतंत्र सेनानियों का हुआ सम्मान, मुख्यमंत्री बोले — “उनका संघर्ष हमारी प्रेरणा”
रायपुर | आपातकाल की त्रासदी और लोकतंत्र की ताकत को याद करते हुए राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निवास कार्यालय में आपातकाल स्मृति दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करते हुए कहा— “लोकतंत्र केवल शासन का तरीका नहीं, बल्कि भारतवासियों की आत्मा है।”
उन्होंने आपातकाल के 21 काले महीनों को याद करते हुए कहा कि स्वतंत्र भारत में भी उन दिनों ने अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की याद दिला दी। उन्होंने बताया कि उनके स्वर्गीय पिता नरहरि प्रसाद साय ने भी 19 महीने जेल में बिताए थे। “उनके किस्से आज भी रोंगटे खड़े कर देते हैं,” मुख्यमंत्री ने भावुक होते हुए कहा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान राशि योजना को फिर शुरू कर पिछले पाँच वर्षों की बकाया राशि का भुगतान भी किया है। अब से लोकतंत्र सेनानियों की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ होगी और ₹25,000 की सहायता राशि परिजनों को दी जाएगी। विधानसभा में अधिनियम पारित कर इस योजना को स्थायी रूप दिया गया है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक “वो 21 महीने: आपातकाल” का विमोचन भी किया।
रमन सिंह बोले— “पूरा देश बन गया था एक विशाल जेल”
विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा कि “आपातकाल केवल एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, यह लोकतंत्र की हत्या थी।” प्रेस पर सेंसरशिप, नेताओं की गिरफ्तारी और मौलिक अधिकारों को खत्म कर पूरे देश को एक जेल में बदल दिया गया था।
उन्होंने कहा— “यदि आज लोकतंत्र जीवित है, तो इसका श्रेय उन सेनानियों को जाता है जिन्होंने यातना सहकर संविधान की रक्षा की।”
इस अवसर पर पवन साय, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, विधायक मोतीलाल साहू, सीजीएमएससी अध्यक्ष दीपक म्हस्के, अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा, रायपुर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष नंदकुमार साहू, लोकतंत्र सेनानी संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी समेत बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी और उनके परिजन उपस्थित रहे।
📘 25 जून 1975—भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन
आपातकाल के दौरान हजारों लोग बिना अपराध जेलों में ठूंसे गए, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई, कलाकारों की अभिव्यक्ति पर भी रोक लगाई गई। पार्श्व गायक किशोर कुमार ने जब सरकारी गीत गाने से इनकार किया, तो उनके गीतों को आकाशवाणी पर बैन कर दिया गया।
खास बातें एक नजर में:
लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान राशि पुनः प्रारंभ
पिछले 5 वर्षों की बकाया राशि का भुगतान
राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि और ₹25,000 की सहायता राशि
‘वो 21 महीने: आपातकाल’ पुस्तक का विमोचन
लोकतंत्र रक्षक अधिनियम विधानसभा में पारित
समारोह में दिखा लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान और गौरव का क्षण