

मुंगेली। आस्था और श्रद्धा का पर्व हरितालिका तीज मंगलवार को जिलेभर में धूमधाम और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए निर्जला व्रत रखा और दिनभर भक्ति भाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना में लीन रहीं।
करू भात से हुई शुरुआत : पर्व की शुरुआत सोमवार रात करू भात की रस्म से हुई। परंपरा के अनुसार महिलाएं समूह बनाकर मोहल्लों में घूमीं और मिलकर करू भात खाया। इसमें मुख्य रूप से चावल और करेला शामिल रहा। माना जाता है कि करेला जीवन की कठिनाइयों का प्रतीक है, जिसे खाने से सुख-दुख में संतुलन बना रहता है। इसी कारण तीज पर्व पर करेले की मांग बढ़ जाती है और बाजार में इसकी कीमत में भी उछाल देखा गया।
निर्जला उपवास और पूजन विधि : मंगलवार को महिलाओं ने निर्जला उपवास रखते हुए 30 घंटे तक अन्न और जल का त्याग किया। शाम ढलने से पहले नगर के नया बस स्टैंड, गोल बाजार, सदर बाजार, दाऊपारा, पड़ाव चौक समेत कई मोहल्लों और मंदिरों में महिलाएं समूह बनाकर एकत्र हुईं। ठेठरी, खुर्मी और गुझिया जैसे पारंपरिक प्रसाद बनाए गए। महिलाएं श्रृंगार सामग्री और पूजन सामग्री लेकर सामूहिक पूजन विधि में सम्मिलित हुईं। पूजन के दौरान सुहागिनों ने सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना की। साथ ही व्रत कथा का श्रवण किया और अखण्ड सौभाग्यवती होने का वर मांगा।
रौनक और भीड़भाड़ : तीज पर्व को लेकर नगर के बाजारों में जबरदस्त रौनक रही। कपड़े, गहनों और श्रृंगार की दुकानों में महिलाओं की भीड़ दिनभर बनी रही। परंपरा अनुसार मायके से तीजहारिन महिलाओं को नए वस्त्र, गहने और श्रृंगार का सामान भेंट किया गया। वहीं, रविवार से मंगलवार तक बस स्टैंड और टैक्सियों में भी यात्रियों की भीड़ रही। कई महिलाएं मायके जाकर तीज पर्व मना रही हैं।
जागरण और व्रत कथा : मंगलवार शाम व्रती महिलाएं जागरण करते हुए पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन में शामिल रहीं। देर रात तक मंदिरों और घरों में धार्मिक माहौल बना रहा। व्रत बुधवार की सुबह स्नान-पूजन और परंपरागत विधि के साथ पूर्ण हुआ।
तीजहारिनों की आस्था : नगर की तीजहारिन महिलाओं—सीता, सावित्री, मंजूरानी, तुलेश्वरी, अंजली और गायत्री ने बताया कि वे हर साल तीज पर निर्जला उपवास करती हैं और भजन-कीर्तन तथा पूजन-अर्चन में भाग लेती हैं। उनका विश्वास है कि इस व्रत से माता पार्वती प्रसन्न होकर पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
धार्मिक मान्यता : धार्मिक मान्यता के अनुसार हरितालिका तीज माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का स्मरण पर्व है। मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तप करके शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था। इसी वजह से सुहागिनें यह व्रत रखती हैं और अखण्ड सौभाग्य की कामना करती हैं। इस प्रकार, हरितालिका तीज का पर्व मुंगेली जिले में आस्था, परंपरा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। दिनभर निर्जला उपवास और रात्रि जागरण करने वाली महिलाओं ने अपने संकल्प और श्रद्धा से पूरे वातावरण को भक्ति से सराबोर कर दिया।