

मुंगेली। आनन्द मार्ग प्रचारक संघ द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय योग शिविर एवं आध्यात्मिक सेमिनार का भव्य समापन दिनांक 13 जुलाई 2025 को श्री वैष्णवी मंगलम, मुंगेली में हुआ। यह शिविर 11 से 13 जुलाई तक आयोजित किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से साधक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। शिविर के मुख्य प्रशिक्षक आचार्य सत्यव्रतानन्द अवधूत तथा आयोजक आचार्य शिवानन्द दानी रहे। इस दौरान प्रतिभागियों को प्रतिदिन योगासन, ध्यान, प्राणायाम सहित योग की विविध विधाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
सामाजिक और आध्यात्मिक विषयों पर हुआ मंथन : शिविर में सामाजिक विषय के अंतर्गत “प्राण धर्म” और “पाप के तीन कारण” तथा आध्यात्मिक विषय के अंतर्गत “मानव शरीर एक जैविक यंत्र” पर विस्तृत व्याख्यान हुए। प्राण धर्म पर बोलते हुए आचार्य जी ने कहा, “हर व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का अपना एक प्राण धर्म होता है, जिससे उसकी पहचान बनती है। भारत का प्राण धर्म अध्यात्म है। यदि भारत यह धर्म छोड़ देगा, तो उसकी आत्मा नष्ट हो जाएगी।”
“पापस्य कारण त्रयम्” विषय पर बताया गया कि पाप के तीन मूल कारण हैं –
1. भौतिक एवं मानसिक संपदा का अभाव
2. उनका अत्यधिक होना
3. जीवन में गतिहीनता
“मानव शरीर एक जैविक यंत्र” विषय के अंतर्गत कहा गया कि शरीर तत्वों, इंद्रियों, ग्रंथियों और चक्रों से मिलकर बना है, और इसका संतुलन बनाए रखने के लिए योग साधना, सात्विक आहार और आत्मानुशासन आवश्यक हैं।
अष्टांग योग पर विशेष चर्चा : शिविर में अष्टांग योग के आठ अंग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि – की महत्ता पर चर्चा की गई। आचार्य जी ने कहा कि आज योग को केवल आसनों और प्राणायाम तक सीमित कर दिया गया है, जबकि उसकी आधारशिला यम और नियम हैं।
यम के पांच अंग – अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह तथा नियम के पांच अंग – शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्राणिधान बताए गए।
अखंड कीर्तन और शोभायात्रा रही आकर्षण का केंद्र : कार्यक्रम के दौरान आनंद मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनंदमूर्ति जी द्वारा प्रदत्त सिद्ध महामंत्र का 3 घंटे का अखंड कीर्तन भी आयोजित हुआ, जिसे साधकों ने सामूहिक रूप से गाया। यह बताया गया कि इस महामंत्र से त्रिविध समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। शिविर के अंतिम दिन कीर्तन शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसमें साधक नृत्य और भक्ति में लीन होकर नगर भ्रमण किए।
विभिन्न जिलों से पहुंचे मार्गी भाई-बहन : इस आयोजन में मुंगेली, बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, बलौदाबाजार, दुर्ग एवं बालाघाट (म.प्र.) से बड़ी संख्या में साधक शामिल हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती जलेश्वरी (भुक्ति प्रधान, मुंगेली), शिव शरण (भुक्ति प्रधान, बिलासपुर), श्री दिगंबर, जनक मिरे एवं ईस्टमेन मिरे का विशेष योगदान रहा।